बुधवार, जुलाई 06, 2022

ग़ज़ल होती है



122 221 212 222
दिलों में जज़्बात हो ग़ज़ल होती है।
बिना मौसम बरसात हो ग़ज़ल होती है।।

हमेशा उसका जिक्र उसकी बातें।
किसी से भी बात हो ग़ज़ल होती है।।

सफर में है हमसफर की ख्वाहिश जानां।
कहीं पर भी रात हो ग़ज़ल होती है।।

कभी जब उनसे हो दिल्लगी का वादा।      
सभी को ओ ज्ञात हो ग़ज़ल होती है।।

हँसी हो महफ़िल में ओ हसीं आंगन में।
खुशी की बारात हो ग़ज़ल होती है।।

दुआ में दिल और ज़िन्दगी भी सबको।
मिली ये सौगात हो ग़ज़ल होती है।।

ये चारों खाने हैं जाम चक्का वक्का।
सुलभ यातायात हो ग़ज़ल होती है।।

सभी अपने हो मिलें हो अपनेपन से।
वफ़ा मौजूदात हो ग़ज़ल होती है।।

लहू सबका है वही बदन सबका ओ।
किसी की भी जात हो ग़ज़ल होती है।।

मुहब्बत में ही मिलीं हैं ये सौगातें।
मिली जब खै़रात हो ग़ज़ल होती है।।
              -  अनूप कुमार अनुपम




























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