सोमवार, जून 02, 2025

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।।
मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।।

शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।।
मुझको तो मेरे गाँव की ये शाम बहुत है।।
                          -अनूप अनुपम 

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