बुधवार, जुलाई 13, 2022

वक्त मरहम है सब भुला देगा।।

212 212 1222
वक्त मरहम है सब भुला देगा।
यानी तूँ भी हमें सज़ा देगा।।

और तो कुछ बचा नहीं तेरा।
इससे ज़्यादा तूं क्या देगा।।

शक्ल मिलती नहीं किसी से। 
आँखों में क्या है आइना देगा।

मिल गया गर ओ दिलजला कोई।
आग दुनिया में फ़िर लगा देगा।।

तन बदन में सुलगती है साकी।
ज़ख्म मुझमें है तो हवा देगा।।
         -अनूप कुमार अनुपम

 














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