रविवार, जुलाई 31, 2022

अजां है ग़ज़ल


बेजुबानों की महकी जबां है ग़ज़ल।।
परिन्दों कीय चहकी अजां है ग़ज़ल ।।

ग़ज़ल तो समेटे खुसबू आती है।।
सियासत से नफरत की बू आती है।।
           -अनूप कुमार अनुपम











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