हम साज हैं बेचैन ओ संगीत लिए फिरा करतें हैं
आंखों में जलवा ए नुमाइश की रीत लिए फिरा करते हैं
पिरोकर लाएंगे उनको अब गजलों में जरुर
सितार की झनकारों में जो मेरे गीत लिये फिरा करतें हैं
कलम की बन्दिशें पहुंचेगीं मेहमानों तक जरूर
जो हार का मजा उनकी जीत में लिए फिरा करते हैं
तारीफें अपनी करना मुझे गवारा नहीं
उनके समंदर से बस यही सीख लिए फिरा करतें हैं
अनूप मिल जाएं ओ तो कहना है उनसे
हम खुद में ही उनके जैसा इक मीत लिए फिरा करतें हैं
शायर-अनूप कुमार मौर्य
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