ये शाम जब भी ढलता है तेरी याद आती है
दिन जब भी निकलता है तेरी याद आती है
नहीं भूल सका मैं सनम तेरी मोहब्बत को
बिजली जब भी चमकती है तेरी याद आती है
नहीं कह सकता मैं हर दर्द को अल्फाजों में
चांदनी छत पे बिखरती है तेरी याद आती है
बस यूं ही खामोश रह के सह लेता हूं हर गम
कोई दिल जब दुखाता है तेरी याद आती है
सपने कभी आंखों से ओझल नही हो पाते
जब शाम सुहानी हो तो तेरी याद आती है
-अनूप कुमार अनुपम