मंगलवार, मार्च 18, 2025

।।गलतियाँ अपनी कर लो सभी ठीक तुम।।

    212      212   ‌  212     212

ग़लतियाँ अपनी कर लो सभी ठीक तुम।
       काम करते रहो सारे निर्भीक तुम।।

          यूँ कबूतर फ़साना पुराना हुआ।।
    लेके आओ नयी कोई तकनीक तुम।।

   पायलों की खनक घुल गयी कान में।।
    आ गये हो मेरे कितने नज़दीक तुम।।
                     
      बन गये सब हक़ीक़त फ़साने मेरे ।।
      करने आये नहीं यार तसदीक़ तुम।।

इस मुहब्बत से दिल भर गया हो अगर।।
   ढूँढ़ लो फिर जहाँ कोई रमणीक तुम।।

   अब लड़कपन गया औ जवानी गयी।।
 ज़िन्दगी की पकड़ लो सही लीक तुम।।
                        (-अनूप , अनुपम )






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।। मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।। शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।। मुझको तो मेरे गाँव की ये...