ग़लतियाँ अपनी कर लो सभी ठीक तुम।
काम करते रहो सारे निर्भीक तुम।।
यूँ कबूतर फ़साना पुराना हुआ।।
लेके आओ नयी कोई तकनीक तुम।।
पायलों की खनक घुल गयी कान में।।
आ गये हो मेरे कितने नज़दीक तुम।।
बन गये सब हक़ीक़त फ़साने मेरे ।।
करने आये नहीं यार तसदीक़ तुम।।
इस मुहब्बत से दिल भर गया हो अगर।।
ढूँढ़ लो फिर जहाँ कोई रमणीक तुम।।
अब लड़कपन गया औ जवानी गयी।।
ज़िन्दगी की पकड़ लो सही लीक तुम।।
(-अनूप , अनुपम )
काम करते रहो सारे निर्भीक तुम।।
यूँ कबूतर फ़साना पुराना हुआ।।
लेके आओ नयी कोई तकनीक तुम।।
पायलों की खनक घुल गयी कान में।।
आ गये हो मेरे कितने नज़दीक तुम।।
बन गये सब हक़ीक़त फ़साने मेरे ।।
करने आये नहीं यार तसदीक़ तुम।।
इस मुहब्बत से दिल भर गया हो अगर।।
ढूँढ़ लो फिर जहाँ कोई रमणीक तुम।।
अब लड़कपन गया औ जवानी गयी।।
ज़िन्दगी की पकड़ लो सही लीक तुम।।
(-अनूप , अनुपम )
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