मंगलवार, मार्च 11, 2025

ये हिन्दुस्तान की ख़ुशबू

 ये हिन्दुस्तान की ख़ुशबू,
   हरे मैदान की ख़ुशबू।।

  यहाँ होली सी आती है,
मिरे रमज़ान की ख़ुशबू।।

   हवायें शहर में लातीं हैं,
  जब बाग़ान की ख़ुशबू।।

 महक जाती है् सांसों में,
भरे खलिहान की ख़ुशबू।।

यहीं खुसरो के् घर खेली,
यहीं तुलसी के घर खेली।।

भजन मीरा का् गाती सी,
यहाँ रसखान की ख़ुशबू।।

    जले शैतान की होली,
    उड़े ईमान की ख़ुशबू।।

     तुम्हारे दीप से आये,
अगर लोबान की ख़ुशबू।।

कृष्ण के ज्ञान की महिमा,
बुद्ध के ध्यान की ख़ुशबू।।

 बहे तुलसी की् बगिया में,
मिरे कुरआन की ख़ुशबू।।

    वही है आन की ख़ुशबू,
   वही है शान की ख़ुशबू।।

       जहाँ टैगोर गातें हैं,
वतन के गान की ख़ुशबू।।
         -अनूप अनुपम 






























































 







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