सनम ये हमारी वफ़ा देख लेना।
हुआ हूं मै तुम पर फना देख लेना।।
हरिक से छुपा के जो तुमको दिया है।
लहू से हैे् खत को लिखा देख लेना।।
उसी को यहां सब ग़ज़ल कह रहे हैं
जो हमने कभी है कहा देख लेना।।
हजारों ये रातें गुज़ारी जहां पे।
छुपा कर रखा है पता देख लेना।।
सितम तुम अभी तक किये जा रहे हो।
यही है तुम्हारी ख़ता देख लेना।।
-अनूप कुमार अनुपम
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