मंगलवार, दिसंबर 25, 2018

हम बना के रखें हैं ये् मन आखि़री

हम बना के रखें हैं ये मन आखिरी
है हमारा यही अब कथन आखिरी।।

उठ के जाने लगे जब जनाजा मिरा।
साथ में हो तिरंगा कफ़न आख़िरी।।
 
मौत महबूब बन कर गले मिल रही।
खूबसूरत है कितनी दुल्हन आखिरी।।

इतना ऊपर उठालो झुके ना कभी।
चूम आये तिरंगा गगन आखिरी।।

देके अपना लहू सींचते ही रहें।
सूख जाए न फिर से चमन आखिरी।।
    
      -अनूप कुमार अनुपम

 

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