है जरुरी ये तुमको बताना सनम ।
फिर से् आया ये मौसम सुहाना सनम।।
जश्न कैसे मनाऊँ नये साल का।
दर्द अपना है वर्षों पुराना सनम।।
दूर तुमसे हुए फिर दिवाली गयी।
रात कितनी अमावस की काली गयी।।
बैठ कर के यही हम लगे सोचने।
हम ने रो रो गुज़ारा ज़माना सनम।।
याद गलियों की् है ओ चमक चाँदनी
छेड़ कोयल जहां पे गयी रागनी।।
मिल रहे थे जहां हम सुबह शाम में।
आज तक है वहीं पे ठिकाना सनम।।
ज़िन्दगी को नयी इक कहानी मिली।
एक पल में कई जिंदगानी मिली।।
शौक से तुम हमें भूल जाओ मगर।
याद रखना दिलों का फ़साना सनम।।
तार से तार मन के है् जब से मिले।
गीत बनकर लबों पे है अरमां खिले।।
प्यार से इक दफा ही सुनो तो सही ।
कितना अनुपम है दिल का तराना सनम।।
-अनूप कुमार अनुपम
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