बड़े अद्भुत बड़े दिलकश बड़े मयकश नज़ारे हैं।
ये उल्फत का समन्दर है यहां हरपल शरारे हैं।।
ख़ुदा का है करम हम पे वही मांझी हमारा है।
मुसलसल बह रही कश्ती यहाँ उसके सहारे हैं।।
हसीं महफ़िल सज़ायी है तुम्हारे प्यार में हमने।
फलक से आज धरती पर उतर आए सितारे हैं।।
बड़ी ही खूबसूरत है तुम्हारी ये हसीं आँखें।
निगाहे नाज़ में देखा क़यामत के इशारे हैं।।
बदलकर नाम रक्खा है मगर बदले नहीं है हम।
वही अनुपम तुम्हारे थे वही अनुपम तुम्हारे हैं।।
-अनूप कुमार अनुपम
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