शुक्रवार, दिसंबर 07, 2018

ज़िन्दगी तबाह थी हजार देखते रहे।


ज़िन्दगी तबाह थी हजार देखते रहे।
कर सके न एक भी सुधार देखते रहे।।

दोस्तों से् दूर थे मिले नही क़रीब से।
दोस्ती मे् आ गयी दरार देखते रहे।।
        -अनूप कुमार अनुपम 

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