गा रहे हैै् हम मगर ये गीत सब तुम्हारे हैं।
साज साज कह रहे संगीत सब तुम्हारे हैं।।
नफरतों के् इस समर में प्यार की नसीहत है।
दिल से् तुम मिलो गले ये मीत सब तुम्हारे हैं।
अनूप कुमार अनुपम
छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।। मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।। शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।। मुझको तो मेरे गाँव की ये...
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