गुरुवार, नवंबर 01, 2018

हम साज हैं बेचैन

हम साज हैं बेचैन ओ संगीत लिए फिरा करते हैं।
आंखों में जलवा-ए-नुमाइश की रीत लिए फिरा करते हैं।।

पिरो कर लायें हैं उन्हें आजकल ग़ज़लों में।
सितार के झनकारो में जो मेरे गीत लिये फिरा करते हैं।।
                                 

-अनूप कुमार अनुपम

 

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