रविवार, सितंबर 23, 2018

तुझ से मिलने आया जब भी तुम होकर लौटा हूं मैं।

तुझ से मिलने आया जब भी तुम होकर लौटा हूं मैं।
लगता है तुझ में ही शाय़द गुम होकर लौटा हूं मैं।।

भटका जिस जंगल में बरसों वह यादों का उपवन था।
छूकर देखा चन्दन को कुमकुम होकर लौटा हूं मैं।।
                                      -अनूप कुमार अनुपम



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