एक कवि की कविता जो निकली है मन के तारों से --- अनूप कुमार मौर्य
दाग़ किरदार के तुम गिनाते रहो। ज़हन में अब मिरे सादगी आ गयी।
-अनूप कुमार अनुपम
छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।। मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।। शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।। मुझको तो मेरे गाँव की ये...
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