मंगलवार, दिसंबर 25, 2018

हम बना के रखें हैं ये् मन आखि़री

हम बना के रखें हैं ये मन आखिरी
है हमारा यही अब कथन आखिरी।।

उठ के जाने लगे जब जनाजा मिरा।
साथ में हो तिरंगा कफ़न आख़िरी।।
 
मौत महबूब बन कर गले मिल रही।
खूबसूरत है कितनी दुल्हन आखिरी।।

इतना ऊपर उठालो झुके ना कभी।
चूम आये तिरंगा गगन आखिरी।।

देके अपना लहू सींचते ही रहें।
सूख जाए न फिर से चमन आखिरी।।
    
      -अनूप कुमार अनुपम

 

शुक्रवार, दिसंबर 21, 2018

है जरुरी ये् तुमको, बताना सनम ।

है जरुरी ये तुमको बताना सनम ।
फिर से् आया ये मौसम सुहाना सनम।।
जश्न कैसे मनाऊँ नये साल का।
दर्द अपना है वर्षों पुराना सनम।।

दूर तुमसे हुए फिर दिवाली गयी।
रात कितनी अमावस की काली गयी।।
बैठ कर के यही हम लगे सोचने।
हम ने रो रो गुज़ारा ज़माना सनम।।

याद गलियों की् है ओ चमक चाँदनी
छेड़ कोयल जहां पे गयी रागनी।।
मिल रहे थे जहां हम सुबह शाम में।
आज तक है वहीं पे ठिकाना सनम।।

ज़िन्दगी को नयी इक कहानी मिली।
एक पल में कई जिंदगानी मिली।।
शौक से तुम हमें भूल जाओ मगर।
याद रखना दिलों का फ़साना सनम।।

तार से तार मन के है् जब से मिले।
गीत बनकर लबों पे है अरमां खिले।।
प्यार से इक दफा ही सुनो तो सही ।
कितना अनुपम है दिल का तराना सनम।।

      -अनूप कुमार अनुपम

रविवार, दिसंबर 16, 2018

बड़े अद्भुत बड़े दिलकश बड़े मयकश नज़ारे हैं।

बड़े अद्भुत बड़े दिलकश बड़े मयकश नज़ारे हैं।
ये उल्फत का समन्दर है यहां हरपल शरारे हैं।।

ख़ुदा का है करम हम पे वही मांझी हमारा है।
मुसलसल बह रही कश्ती यहाँ उसके सहारे हैं।।

हसीं महफ़िल सज़ायी है तुम्हारे प्यार में हमने।
फलक से आज धरती पर उतर आए सितारे हैं।।

बड़ी ही खूबसूरत है तुम्हारी ये हसीं आँखें।
निगाहे नाज़ में देखा क़यामत के इशारे हैं।।

बदलकर नाम रक्खा है मगर बदले नहीं है हम।
वही अनुपम तुम्हारे थे वही अनुपम तुम्हारे हैं।।
       -अनूप कुमार अनुपम

शुक्रवार, दिसंबर 07, 2018

ज़िन्दगी तबाह थी हजार देखते रहे।


ज़िन्दगी तबाह थी हजार देखते रहे।
कर सके न एक भी सुधार देखते रहे।।

दोस्तों से् दूर थे मिले नही क़रीब से।
दोस्ती मे् आ गयी दरार देखते रहे।।
        -अनूप कुमार अनुपम 

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है

छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।। मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।। शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।। मुझको तो मेरे गाँव की ये...