दाग छूटे न सारा ज़माना प्रिये।।
रंग ऐसा ही हमको लगाना प्रिये।।
-(अनूप कुमार अनुपम)
सुब्ह ओ वादियों की महकती हुयी।।
इन फज़ाओं में जाने कहाँ खो गयी।।
-(अनूप कुमार अनुपम)
बात दिल की हमेशा ओ दिल में रही।।
उसको किसने सुना उसको किसने कही।।
-(अनूप कुमार अनुपम)
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