2122 1122 1122 22
मेरी आँखों में तेरी चाह के जुगनू आये।।
रात को ख़्वाब में तू था तिरी खुशबू आये।।
क्या किसी ख़्वाब के बदले यूँ मिला ग़म मुझको।।
बे सबब किसलिए आँखों में ये आँसू आये।।
-अनूप कुमार अनुपम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें