212 122 2212 1212
दर्द को तुम्हारे जो शायरी में ढाल दे।
हो सके तो ऐसी इक शायरा तलाश कर।।
- (अनूप कुमार अनुपम)
छप्पर में हमारे हमें आराम बहुत है।। मिलता यहाँ पे हमको विश्राम बहुत है।। शहरों में खिली सुब्ह मुबारक रहे तुमको।। मुझको तो मेरे गाँव की ये...
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