बुधवार, मार्च 11, 2020

शायरा

212 122 2212 1212



      दर्द को तुम्हारे जो शायरी में ढाल दे।
हो सके तो ऐसी इक शायरा तलाश कर।।
                    - (अनूप कुमार अनुपम)

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