दिवाली आई है
चले आओ दिवाली आयी
सपने मैंने सजोंकर रखे
थे बस तेरी उम्मीदों पर
आकर घुल जायेंगे
तुझमे अबकी बार तीजों पर
प्रीत भरे इस उपवन
में तु नए पुष्प खिलाई है
चले आओ दिवाली आयी है
मिटटी का एक दीप
बनाकर सपनों की बाती बिछाकर
तेरी याद में सावन
बीते अब दिल में दीप जलायी है
चले आओ
दिवाली आयी है
शाम ये ढलने से पहले दीप ये बुझने से
पहले
अपने लव में समा लो
मुझको ऐसा अवसर लायी है
चले आओ
दिवाली आयी है
-अनूप
कुमार अनुपम
Kavitamanki.blogspot.com
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