मंगलवार, अप्रैल 01, 2025
मकाम उसका सियासत में सबसे आला है।
1212 1122 1212 22
मकाम उसका सियासत में सबसे आला है।।
यहाँ पे चेहरा ये जिसका सभी से काला है।।
भरे पड़े हैं बे ईमान ऐसे दुनिया में।।
उसे समझते हो ईमान रखने वाला है।।
निकाल देंगे तुम्हारी जो है ग़लतफहमी।।
कभी पड़ा नहीं हमसे तुम्हारा पाला है।।
ख़िलाफ़ कोई नहीं बोलता अदालत में।।
हरिक ज़बां पे उसी ने लगाया ताला है।।
रखी हुई है ये घर द्वार ज़िन्दगी गिरवी ।।
बना हुआ है यूँ लगता कहीं का लाला है।।
कभी भी करना नहीं उससे दोस्ती अनुपम।।
गले में डाल जो चलता सियासी माला है।। -अनूप अनुपम
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