शनिवार, जुलाई 22, 2017

शादियाँ अब सौदा हो गयीं

शादियाँ अब सौदा हो गयीं
दहेज़ ने हमारे चमन में
कुछ ऐसे गुल खिलाये हैं
इंसानियत से ज्यादा
हमारी चाह पैसा बन गयी
प्रेम के पवित्र बन्धनों को
दरिंदों ने पैरों तले रौंदा है
विचारों और जज्बातों के साथ
करते ये सौदा हैं
चन्द सिक्कों के लिए
कलियों का खून कर देने वालों
तुम्हारा क्या होगा
अगर ये तुमसे जुदा हो गयी,,
घरों को सजाती यही है
घरों को महकती यही है
बन कर कल्पना  कभी
चाँद पर जाती यही है
जब हो अत्याचारों की सीमा पार
फिर पहन चोला मर्दानी
तलवार उठाती यही है
समझदारी से काम लो अक्लमंदों
क्या होगा इस जहाँ का
अगर ये मीरा बन गयी
क्योंकि शादियाँ तो अब सौदा बन गयीं    
                  -अनूप कुमार अनुपम
            

कुछ पाने की जब ललक रहे

कुछ पाने की जब ललक रहे।
निरंतर रहे अथक रहे।
बाकी न कोई सबक रहे।
कुछ पाने की जब ललक रहे।
पांव हमारे रुके न कहीं पर।
सर हमारा झुके न कहीं पर।
सभंल तूफानों से मंजिल वहीँ पर
आँखों में उसी की झलक रहे।
कुछ पाने की जब ललक रहे।
रही तूं चलता जायेगा।
शाम ये ढलता जायेगा।
घनघोर अँधेरा छायेगा।
फिर भी न घबराएगा।
आजादी का उगेगा सूरज।
बस तुझ में न कोई फर्क रहे।
कुछ पाने की जब ललक रहे।
नीद से जागो सोने वालों।
किस्मत पे तुम रोने वालों।
चलकर साथ समय का पा लो।
तुम खुद से ही न सजक रहे।
कुछ पाने की जब ललक रहे।
             -अनूप कुमार अनुपम 

कीचड़ में कमल खिलाया तुमने

कीचड़ में कमल खिलाया तुमने
गुम हो गयी थी अंधेरों में जिन्दगी मेरी
रोते को फिर हँसाया तुमने
लुटा इस गुलशन को रखवालों ने 
कसर छोड़ा नहीं बाहर वालों ने
काटों ने लिया हिसाब बराबर
रहता था जिनके साथ बराबर
आकर इस उजड़े गुलशन को
फिर से है महकाया तुमने
कीचड़ में कमल खिलाया तुमने
तेरा ही नाम अब होठों पर
लाऊंगा मैं जीवन भर
भूल जाऊंगा मैं कैसे तुझको
गिरा हुआ मैं खुद की नज़रों से
सबकी नज़रों में उठाया तुमने
कीचड़ में कमल खिलाया तूमने
पढ़ता हूँ जब तेरी कहानी
आँख से मेरी छलके पानी
तेरे आगन में मैं आके
भूल गया उस दुनिया को
भटक गया था अपनी राह से
फिर वही रस्ता दिखया तुमने
कीचड़ में कमल खिलाया तूमने
मंजिल मिले चाहे बिछड़े जमाना
दिल में है बस यही तराना
मंजर जो भी होगा सामने
मैं समझूंगा बुलाया आपने
देखेगा एक दिन जमाना
बस तुम मुझको भूल न जाना
खुली आँखों से इक सच्चा सपना
आज की रात दिखाया तुमने
कीचड़ में कमल खिलाया तूमने
              -अनूप कुमार अनुपम 

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