गुरुवार, सितंबर 22, 2022

सात फेरों के सातों कथन याद हैं।


सात  फेरों के  सातों  कथन याद हैं।।
क्या दिये तुमको अपने वचन याद हैं।।

व्यग्र होकर बहे थे  जो अभिसार में।
अश्रु से ओ धुले क्या चरन   याद  हैं।।

प्यार में ऐसे  लम्हें न  आयेंगे  अब ।
नागफनियों के  चुभते शयन याद हैं।।
                  
आज़ भी  गूंजती  है  सदा हर तरफ।
साथ घूमें ओ क्या  वेणु वन याद हैं।।

चिलचिलाती हुयी  धूप में जानेमन।
किस तरह से  जले ये  बदन याद हैं।।

प्यार के  पँख फैला  के उन्मुक्त मन।
जिसमें दोनों उड़े ओ  गगन  याद  हैं।।

अब  मुहब्बत नहीं है न शर्मो  हया।
क्या यही आशिकी के चलन याद हैं।।

बिन  हमारे  गुज़रती  है  कैसे  तेरी।
बांसुरी के बिना क्या किशन याद हैं।।

पुष्प एहसास के जो भी तुमने दिये।
प्रेम के हर  सुवासित सुमन याद हैं।।
                -अनूप कुमार अनुपम





























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